छाँटते रहे कारवाँ में,
दोस्त खुद जैसा मिल न सका.
हँसे किसी के रंग पे, मुह सिकोडा किसी के ढंग पे.
साथी ढूंढ़ते थे दुनिया की भीड़ मे, खो हम खुद ही गए हैं.
दोस्त खुद जैसा मिल न सका.
हँसे किसी के रंग पे, मुह सिकोडा किसी के ढंग पे.
साथी ढूंढ़ते थे दुनिया की भीड़ मे, खो हम खुद ही गए हैं.
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